close logo

भारतीय संस्कृति व चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद का महत्व – भाग १

आयुर्वेद

आज संपूर्ण मानव जाति कोरोना महामारी से पीड़ित हैं। आशा की किरण सिर्फ़ ओर सिर्फ़ मानवीय दृष्टिकोण पर ही टिकी है। ऐसे में यदि यह विवाद खड़ा हो गया है कि रोगी की चिकित्सा के लिए एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी पद्धति में से क्या सही है या यह कहना इनमें से कोई एक ही सही है सोचना अनुचित होगा। आज कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जो सबसे उचित, जल्दी कारगर व रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य की रक्षा करने वाली पद्धति है उसका ही उपयोग करना चाहिए। चिकित्सा पद्धति का चुनाव नहीं करना है बल्कि किस कोरोना रोगी पर कौन सी पद्धति उचित है उसकी ओर हमें ध्यान देना चाहिए। वैसे भी यह विषय चिकित्सा विशेषज्ञों का है ना कि आम आदमी के का। मेरे विचार से इसे राजनीतिक या किसी विचारधारा से न जोड़ा जाए तो बहुत ही अच्छा होगा।

मैं आयुर्वेद की चर्चा करते हुए इसकी किसी से तुलना नहीं करना चाहता सिर्फ़ मानव के शारीरिक स्वास्थ्य व उसकी मानसिक शांति की बात के लिए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के गुणों व महत्व पर ही विस्तार से चर्चा करना चाहता हूँ। वैसे भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति आज की नहीं है। यह हजारों वर्षों से चली आ रही है। इसपर बहुत कुछ प्राचीन काल से लेकर आज तक लिखा, पढ़ा व सोचा जा चूका है। आयुर्वेद संपूर्ण प्राणी जगत के लिए उसकी आयु का रक्षा शास्त्र है। यह मानव के सम्पूर्ण मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य की बात करता हैं। साथ ही आयुर्वेद में स्पष्ट उल्लेख है कि मानव को अपनी व बाह्य प्रकृति से सामजंस्य बनाकर ही अपना जीवनयापन करना चाहिए।

यह निर्विवादित सत्य है कि आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा विधाएं हैं। ये विशुद्ध-रूप से भारतीय ऋषियों की देन हैं तथा ’सा प्रथमा संस्कृतिर्विश्ववारा‘ (यजुर्वेद 7.14) के अनुसार पूरे विश्व में प्रथम संस्कृति के रूप में स्वीकार्य हैं। वेदों, उपनिषदों, रामायण, महाभारत आदि कितने ही ग्रंथों में आयुर्वेद शास्त्र पर बहुतसी महत्वपूर्ण बातें कहीं गई है।

आयुर्वेद क्या है?

आयुर्वेद प्राकृतिक एवं समग्र स्वास्थ्य की पुरातन भारतीय पद्धति है। संस्कृत मूल का यह शब्द दो धातुओं के संयोग से बना है – आयुः + वेद। “आयु ” अर्थात लम्बी उम्र और “वेद” अर्थात विज्ञान। अतः आयुर्वेद का शाब्दिक अर्थ जीवन का विज्ञान है।

जहाँ एलोपैथिक औषधि रोग होने के मूल कारण पर ना जाकर इसको दूर करने पर केंद्रित होती है वहीं आयुर्वेद हमें अस्वस्थ होने की मूलभूत कारणों के साथ-साथ इसके समग्र उपचार के विषय में भी बताता है।

आयुर्वेद का तात्पर्य है जीवन के भौतिक, मौलिक, मानसिक और आत्मिक ज्ञान। यह विज्ञान और स्वस्थ जीवन जीने की कला का सटीक संयोजन है।

आयुर्वेद का महत्त्व

आयुर्वेद में ‘स्वस्थ्य’ व्यक्तियों को भी विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।  इस दृष्टिकोण से आयुर्वेद के अंतर्गत प्रत्येक मनुष्य को सात श्रेणियों अथवा ‘प्रकृति’ में वर्गीकृत किया गया है। दरअसल, मनुष्य की प्रकृति का निर्धारण जन्म के समय ही कर लिया जाता है और यह जीवन भर इसी प्रकार बनी रहती है।

‘वात’(Vata-V),’पित्त’(Pitta-P) और ‘कफ’(Kapha-K) इसकी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण श्रेणियाँ हैं, जिनका निर्धारण व्यक्ति के अनेक लक्षणों जैसे- शारीरिक रचना, भूख, त्वचा के प्रकार, एलर्जी, संवेदनशीलता आदि से किया जाता है। अन्य चार श्रेणियाँ इनके विपरीत हैं।

विगत दिनों इस वर्ष ही मार्च माह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‛वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव’ विषय के अपने संबोधन में आयुर्वेद के महत्व पर निम्न बातें कही;-

“आयुर्वेद प्रकृति एवं पर्यावरण के लिए भारतीय संस्कृति के सम्मान के साथ करीब से जुड़ा हुआ है। हमारे ग्रंथों में आयुर्वेद का शानदार वर्णन करते हुए कहा गया है: हिता-हितम् सुखम् दुखम्, आयुः तस्य हिता-हितम्। मानम् च तच्च यत्र उक्तम्, आयुर्वेद स उच्यते।। यानी आयुर्वेद कई पहलुओं का ध्यान रखता है। यह स्वास्थ्य एवं दीर्घायु को सुनिश्चित करता है। आयुर्वेद को एक समग्र मानव विज्ञान के रूप में वर्णित किया जा सकता है। पौधों से लेकर आपकी थाली तक, शारीरिक ताकत से लेकर मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य तक आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का प्रभाव अपार है।”

लेख के अगले भाग में हम आयुर्वेद के महत्व पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

संदर्भ :

1. https://www.keralaayurveda.biz/blog/what-is-ayurveda-benefits-and-importance-in-hindi#
2. https://hi.m.wikipedia.org/wiki
3. https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1704566
4. https://www.drishtiias.com/hindi/daily-updates/daily-news-editorials/renaissance-in-ayurveda
5. https://www.indictoday.com/bharatiya-languages/ayurveda-katha-i/

Featured Image Credits: wallpaperaccess.com

Disclaimer: The opinions expressed in this article belong to the author. Indic Today is neither responsible nor liable for the accuracy, completeness, suitability, or validity of any information in the article.

Leave a Reply